Monday, September 29, 2014

मां की हर बात निराली..!

तपती दोपहरी में जैसे शीतल छाया
मां तेरा वो गोद सलोना..!
ममता के आंचल में सुरभित जीवन
मां तेरा वो गोद खिलौना..!

पल्लवित हुए हम तेरी छाया में
मां तू अमृत का प्याला..!
जीवन शक्ति का आधार बना
ममता का हर वो एक निवाला..!

जिस उपवन को सींचा तुमने
वहां छायी हरियाली..!
बगिया का हर पुष्प स्मरण करे तुम्हारा
हाथों में है पूजा की थाली..!

मां जैसा दूजा कोई नहीं दुनिया में
मां की हर बात निराली..!

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