Wednesday, August 10, 2016

भारत के मुहांने पर खड़ा आईएस

हमारी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जब संकट बिल्कुल हमारे सिर पर सवार हो जाता है तभी हम सक्रिय होते हैं. आईएस यानि इस्लामिक स्टेट को लेकर भी यही स्थिति है. भले ही हमारे नेतृत्वकर्ता यह कहते रहें कि इस्लामिक स्टेट से भारत को फिलहाल कोई खतरा नहीं है, हकीकत यही है कि वह हमारे मुहाने तक आ पहुंचा है. बांगललादेश में जो कुछ भी हो रहा है, वह वहां के स्थानीय चरमपंथियों का नहीं बल्कि इस्लामिक स्टेट की हरकते हैं. कई पुजारियों की हत्या वहां हो चुकी है, दूसरे अन्य संप्रदायों के  साथ विदेशी नागरिक भी मारे जा चुके हैं. सवाल यह है कि यह सब क्यों हो रहा है जबकि बांगलादेशी समाज ज्यादा सहिष्णु और भाईचारे से लबरेज समाज माना जाता है. वहां धर्म और संप्रदाय को लेकर एक दूसरे के प्रति ठीक-ठाक समझ है.
दरअसल इन हत्यों के पीछे की वजह जानने के लिए इस्लामिक स्टेट की ऑनलाइन मैग्जिन ‘दबिक’ पर नजर डालना जरूरी है. ‘दबिक’ में उसने घोषणा की है कि उसका एक हिस्सा बांगलादेश में सक्रिय है. और भारत तथा बांगलादेश तक वह शरिया शासन लागू करना चाहता है. शेख अबु इब्राहिम अल हनाफी को बंगाल का अमीर यानि मुख्य नेतृत्वकर्ता घोषित किया गया है. इस शेख के बारे में अभी तक कुछ खास पता नहीं चल सका है.  हालांकि खुफिया सूत्र कह रहे हैं कि शेख अबु इब्राहिम अल हनीफ वास्तव में चौधरी नाम का व्यक्ति है जो कनाडा के ओंटोरियो में पहले रहा करता था और वहीं का नागरिक है लेकिन इससे ज्यादा उसके बारे में कुछ और जानकारी खुफिया संस्थाओं को भी नहीं है.
‘दबिक’ पत्रिका में अबु इब्राहिम का एक इंटरव्यू छपा है जिसमें उसने कहा है कि शेख हसीना की सरकार भारत की पिट्ठु है और रॉ की मदद कर रही है ताकि उसके लोग मारे जाएं. हसीना को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए आईएस हर कदम उठाएगा.  इंटरव्यू में उसने कहा है कि जब तक स्थानीय हिंदुओं का सफाया नहीं किया जाता तब तक ध्रुवीकरण नहीं होगा.
जाहिर है कि बांगलादेश में इस्लामिक स्टेट ध्रुवीकरण चाहता है ताकि उसे घुसपैठ करने में आसानी हो. अभी स्थिति यह है कि बांगलादेश का मुस्लिम समाज आईएस के बिल्कुल खिलाफ है और आतंकवाद की कोई भी घटना होने पर आतंकवादियों का पीछा किया जाता है. पुलिस को उसकी सूचना दी जाती है. इससे आईएस बहुत परेशान है. यही कारण है कि उसके गुर्गे मोटरसाइकिल पर आते हैं, हत्या करते हैं और भाग खड़े होते हैं. एक तरह से वे गुरिल्ला हमले कर रहे हैं. संस्थानों पर हमला करने की उनकी ताकत नहीं है. अबु इब्राहिम ने यह भी कहा है कि स्थानीय मुजाहिदिनों की मदद से भारत में गुरिल्ला हमले किए जाएंगे. उसने बर्मा को भी चेतावनी दी है.
इस्लामिक स्टेट की चेतावनी को भारत हल्के में नहीं ले सकता क्योंकि बांगलादेश के साथ 4096 किलोमीटर लंबी सीमा है. यह विश्व का पांचवा सबसे लंबा बोर्डर है. बांगलादेश के 6 डिवीजन ढ़ाका, खुलना, राजशाही, रंगपुर, शिल्हेट चित्तागॉंग भारतीय सीमा से मिलते हैं और हमले इन्ही इलाकों में हो रहे हैं. सबसे ज्यादा 2217 किलोमीटर सीमा बांगलादेश और पश्चिम बंगाल के बीच है. इस इलाके में बांगलादेशी घुसपैठियों की समस्या से भारत पहले ही जूझ रहा है. वास्तव में इस्लामिक स्टेट चाहता भी यही है कि बांगलादेश में रहने वाले हिंदुओं में खौफ का वातावरण पैदा हो और वे भारत की ओर पालायन करें. इससे दोनों देशों के बीच तनाव पैदा होगा और अभी मौजूद सामंजस्य का ताना बाना टूट जाएगा. ऐसे में आईएस को अपनी जड़ें जमाने में मदद मिलेगी.
भारत और बांगलादेश के बीच जो सीमा है उसमें 856 किलोमीटर सीमा त्रिपुरा, 443 किलोमीटर मेघालय, 262 किलोमीटर असम, 180 कि.मी. सीमा मिजोरम से मिलती है. बहुत बड़े हिस्से में फेंसिंग भी हो चुकी है लेकिन बहुत सा हिस्सा ऐसा है जहां से घुसपैठ होती रहती है. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि पूवरेत्तर भारत का यह इलाका जनजातीय समूहों के संघर्ष और बाहरी तत्वों की मदद से उपजे आतंकवाद का शिकार पहले से ही है. यहां यदि इस्लामिक स्टेट ने भी अपनी पैठ बना ली तो भारत के लिए संघर्ष कठिन हो जाएगा.
दरअसल जरूरत अभी इस बात की है कि इस्लामिक स्टेट की रणनीति को समझा जाए और उसके पांव जमने से पहले ही उसे उखाड़ फेंका जाए.   इस्लामिक स्टेट की कार्यशैली से दुनिया परिचित है. कुछ साल पहले ही महाबलि अमेरिका ने कहा था कि इस्लामिक स््टेट का वजूद स्थानीय संगठन से बड़ा नहीं है. कुछ साल के भीतर ही वह दुनिया के लिए राक्षस बन बैठा. इसलिए बांगलादेश में आतंक की हर घटना से हमारा सरोकार है क्योंकि छोटा सा बांग्लादेश यदि इस्लामिक स्टेट की गिरफ्त में आ गया तो सबसे बुरा असर हम पर ही पड़ने वाला है. हमारे लिए यह सचेत होने का समय है.   आईएस हथियारों की आपूर्ति के लिए बंगाल की खाड़ी का इस्तेमाल न कर पाए इसलिए जरूरी है कि कुटनीतिक स्तर पर भी कोशिश होनी चाहिए ताकि इस इलाके के सभी देश आपसी मतभेद भूलकर इस्लामिक स्टेट के खिलाफ एकजुट हो जाएं. बांगलादेश में यदि आईएस सफल हो गया तो वह मयंमार, थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया तक को गिरफ्त में ले सकता है. यमन और सोमालिया से अरब सागर होते हुए बंगाल की खाड़ी का रास्ता हथियारों की तस्करी का मार्ग बन सकता है. 

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